AMAN AJ

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आई नोट , भाग 38

    अध्याय 7 

    डिसाइड तुम्हें करना है 
    भाग 2
    
    ★★★
    
    मानवी शाम को वापस घर आई और घर का दरवाजा खोला। उसका दिमाग फिर से गहरी सोच विचार में था। वो अब अपने पति से ज्यादा आशीष की बातों के बारे में सोचने लगी थी। खासकर उस बात के बारे में जहां उसने उसे अपने पति को छोड़ने के लिए कहा था। अमीरी और ऐशो आराम जैसी बातें मानवी को भा रही थी। वह भूल कर भी इस बात को अपने मन से नहीं निकाल पा रही थी की वो एक रहीश जिंदगी जीने के लिए बनी है। एक ऐसी जिंदगी जीने के लिए जिसमें ऐशो आराम है।
    
    घर में आने के बाद वह नहाते वक्त भी इसी के बारे में सोच रही थी। इसके बाद खाना बनाते वक्त भी यही विचार बार-बार उसके दिमाग में आ रहा था। खाना बनाने के बाद उसने अकेले ही खाना खाया। आखिर में जब वह सोने चली गई तब भी वह इस बात को अपने दिमाग से नहीं निकाल पाई। यह बात पूरी रात उसके दिमाग में चलती रही।
    
    अगली सुबह मानवी तैयार हुई और दोबारा ऑफिस के लिए निकल गई। कार और कार से लेकर ऑफिस तक के सफर के बीच में उसने दोबारा से इस बारे में सोचा।
    
    ऑफिस पहुंचते ही वह अपने डेस्क पर जाकर बैठ गई। तभी लिफ्ट का दरवाजा खुला और आशीष आया। आशीष के आते ही जो जहां था वहीं अपनी जगह पर खड़ा हो गया। 
    
    उसकी चाल मस्त दिखाई दे रही थी। चेहरे पर खुशी थी और अब उसका रुतबा और भी ज्यादा निखर कर सामने आ रहा था। उसने सभी को बैठने के लिए कहा और सीधे मानवी के पास गया। 
    
    मानवी के पास जाकर वह बोला “गुड मॉर्निंग मानवी, कैसी हो तुम?”
    
    “मैं बढ़िया हूं सर।” मानवी ने जवाब दिया।
    
    इसके बाद आशीष ने अपने दफ्तर में काम करने वाले लोगों को देखा, सब अपने-अपने काम में लगे हुए थे, उन्हें देखने के बाद आशीष ने मानवी से कहा “तुम्हें पता है ना हमने नई कंपनी खरीदी थी, आज उस नई कंपनी को लेकर हमारी कुछ लोगों से मीटिंग हैं। मैंने नई कंपनी के ओपन सेरेमनी पर पार्टी रखवाने का सोचा है, तो मीटिंग में पार्टी की ही बात की जाएगी।”
    
    “ओह,” मानवी ने जवाब दिया “सिम्स ग्रेट सर। पार्टी रखने का आईडिया ज्यादा बैटर है।”
    
    “हां, तो चलो उन लोगों से जाकर बात कर ली जाए। पार्टी में जो भी कुछ करना है वह हम दोनों मिलकर ही फिक्स करेंगे।”
    
    “जी सर।”
    
    मानवी ने हामी भरी और अपना सामान उठाकर आशीष के साथ चलने के लिए तैयार हो गई। दोनों ही लिफ्ट में गए, लिफ्ट के बाद नीचे गाड़ी की तरफ, जहां ड्राइवर उनका इंतजार पहले से ही कर रहा था। इसके बाद वह गाड़ी में बैठे और बाहर सड़क पर निकल गए।
    
    “यह मीटिंग कहां है...” मानवी ने अपने हाथ में मौजूद फाइल को संभालते हुए पुछा।
    
    “मेरे गेस्ट हाउस में..” आशीष यह बोला तो मानवी उसकी तरफ देखने लगी।
    
    “गेस्ट हाउस में, मगर अभी परसों ही...” मानवी अपनी तरफ से कुछ कहने की कोशिश कर रही थी मगर आगे बैठे ड्राइवर को देख वह चुप हो गई।
    
    आशीष ने मानवी की तरफ देखा और थोड़ा विनम्र लहजे में कहा “इटस जस्ट ए... मीटिंग... तुम इस बारे में ज्यादा सोचो मत..”
    
    मानवी खामोश हुई और सिर्फ और सिर्फ अपनी फाइलों की तरफ देखने लगी। उसका अंतर्मन अब उसे दोहरी मुसीबत में फंसा रहा था।
    
    जल्द ही गाड़ी एक बड़े से गेस्ट हाउस के सामने आकर रुक गई। वहां पहले से ही कुछ और गाड़ियां मौजूद थी। आशीष गाड़ी से नीचे आया और इसके बाद मानवी की उतरने में हेल्प की। मानवी के उतरने के बाद उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया, मगर इस बार मानवी ने उसके हाथ में हाथ नहीं डाला। आशीष ने अपना हाथ वापस पीछे किया और जेब में डालते हुए सामने की तरफ चलने लगा। उसने मानवी की इस बात को नजरअंदाज कर दिया। 
    
    जल्द ही दोनों गेस्ट हाउस में एक सोफे पर बैठे थे। उनके ठीक सामने गोल कांच का टेबल था और उसके बाद और सोफे। वह काफी सारे लोग तरह-तरह से पार्टी के बारे में बातें कर रहे थे। आशीष उनसे हर एक बात के बारे में डिस्कस कर रहा था। पार्टी कैसे होनी चाहिए। वह कैसी रहनी चाहिए। कब कहां क्या होगा उसने हर बात की डिस्कस की। मानवी भी बोलना चाहती थी मगर वह अपनी सोच से बाहर निकलती तो ना। वह बस वहां बैठी फिर से अपने अंतर्द्वंद मन में उलझती रही हैं। वो बस इसी बात के बारे में सोच रही थी कि उसे आखिरी फैसला क्या करना है। आशीष को चुनना है या फिर अपने पति को। 
    
    मीटिंग खत्म हुई और आशीष ने उन सभी से हाथ मिला कर उन्हें जाने के लिए कहा। एक के बाद एक लोग जाते गए और उन सभी के जाने के बाद मानवी गेस्ट हाउस में अकेली रह गई
    
    आशीष धीरे से मानवी के पास आकर उस से सटकता हुआ बैठा और मानवी से पूछा “आखिर तुम क्या सोच रही हो, मीटिंग की शुरुआत से लेकर उसके खत्म होने तक तुमने कुछ भी नहीं कहा, आखिर तुम ऐसी कौन सी गहरी सोच विचार में फंसी हुई हो।” उसने अपने दाएं हाथ को मानवी की कमर की तरफ कर उसे बाहों में लेने की कोशिश भी की।
    
    मगर मानवी ने उसके हाथ को हटाया और खिसकर दूर बैठ गई। वहां उसने लगभग चीढते हुए कहा “मैं बस, मैं बस यह फैसला नहीं ले पा रही हूं कि मुझे तुम दोनों में से किसको चुनना है, तुम्हें या अपने पति को, मेरा पति मुझसे प्यार करता है और यह बात मैं नजरअंदाज नहीं कर सकती, जबकि तुम, तुम्हारे पास वह सब हैं ‌जो तुम मुझे दे सकते हो मगर मेरा पति नहीं। इसलिए मेरे लिए यह फैसला करना मुश्किल हो पा रहा है”
    
    आशीष ने गहरी सांस ली और सोफे पर पीछे की तरफ होते हुए अपने दोनों पैरों को कांच के टेबल पर रख लिया। गहरी सांस लेकर उसने कहा “मानवी, आखिर इसमें इतनी कंफ्यूज होने वाली बात कौन सी है, मैंने कहा तो है तुम बस अपने मन की सुनो, वह करो जहां तुम्हें वह सब मिले जिसे तुम डिजर्व करती हो। मेरी तरफ से तुम्हारे फैसले को लेकर किसी भी तरह की पाबंदी नहीं है। तुम जो भी फैसला करोगी मुझे वह स्वीकार है। अगर तुम मेरे पक्ष में फैसला करती हो तो हम आने वाले समय में शादी कर लेंगे।”
    
    आशीष ने यह कहा तो मानवी उसकी तरफ देखने लगी। ‌“क्या शादी!!”
    
    “हां।” आशीष ने जवाब दिया “बिल्कुल शादी, मैं यह इसलिए कह रहा हूं ताकि तुम कहीं से भी यह न सोचो कि मैं बस तुमसे, तुमसे सेक्स करने के लिए सब कर रहा हुं। मेरे मन में ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं एक अमीर लड़का हूं अगर मुझे यही सब करना होता तो मैं पैसे खर्च कर कभी भी किसी के साथ कर लेता। मेरे लिए यह नहीं बल्कि तुम जरूरी हो। मैं तुम्हें वह सब खुशिया देना चाहता हूं जिन्हें पाने की तुम हकदार हो। वो सब जिनके लिए तुम बनी हो।”
    
    मानवी एक बार फिर से आशीष की बातों में खोने लगी। आशीष की बातों में वैसे भी गहराई होती थी, इसलिए उसकी बातों का असर जल्दी हो जाता था। मगर इस बार उसने जो शादी का प्रपोजल रखा वो उसका सबसे बड़ा दावं था। ऐसा दावं जिसके लिए वो मानवी के फैसले में सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी हो गया। 
    
    “मगर... मेरा... पति... प्यार...” मानवी एक-एक शब्द को रोकते हुए बोली।
    
    आशीष अपनी जगह से खड़ा होकर उसके पास आया ‌और उसकी जांघ पर हाथ रखते हुए कहा “प्यार में तो मैं भी किसी तरह की कमी नहीं छोड़ूंगा। बल्कि मैं तो तुमसे तुम्हारे पति से भी बढ़कर प्यार करूंगा। इस मामले में मेरी ओर से किसी भी तरह की कमी नहीं रखी जाएगी। तुम आंखें बंद कर मेरी इस बात पर विश्वास कर सकती हो।”
    
    उसने अपने हाथ को मानवी के जांघ पर फिराया। इसके बाद दूसरा हाथ उसके बालों में डाला और उसे चूम लिया। वह सोफे पर थे। आशीष के चुमते ही मानवी पीछे सोफे पर ढेर हो गई। आशीष भी उसके पीछे-पीछे सोफे पर ढेर होता गया। उसने मानवी के दोनों हाथों को अपने हाथों में लिया और फिर एक के बाद एक उसे आगे चुमता गया।
    
    तकरीबन 3 घंटे बाद मानवी आशीष के साथ डाइनिंग टेबल पर खाना खा रही थी। उसका चेहरा बिल्कुल खामोश था। वही उसके ठीक सामने आशीष बिल्कुल अपनी मस्ती में खाना खा रहा था। आशीष ने मानवी की तरफ देखा तो उसे दोबारा मानवी का खोया हुआ चेहरा दिखाई दिया।
    
    उसके खोए हुए चेहरे को देखकर आशीष ने कहा “लगता है तुम अभी भी अपने दिमाग की सोच से बाहर नहीं निकल पा रही हो, देखो किसी भी चीज के बारे में ज्यादा सोचो मत, वरना तुम पागल हो जाओगी, सब तुम्हारे हाथ में हैं और मैंने तुम्हें कह रखा है, जो भी डिसाइड करना है तुम्हें करना है। समझी, डिसाइड तुम्हें करना है।”
    
    “मगर मेरे लिए यह मुश्किल है...” मानवी बोली और उसने खाना खाना छोड़ दिया। 
    
    आशीष ने यह देखा मगर उसने अपना खाना खाना नहीं छोड़ा। उसने वहीं पर खाना खाते-खाते मानवी से कहा “अच्छा, अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं तुम्हें एक ऑप्शन दूं, एक ऐसा ऑप्शन जहां तुम्हारे लिए यह सेलेक्ट करना आसान हो जाएगा कि तुम्हें किसे चुनना है।”
    
    “वो वो क्या...” मानवी जिज्ञासा से आशीष की तरफ देखने लगी।
    
    “कल रात को हम कंपनी की ओपन सेरेमनी के लिए पार्टी रखने जा रहे हैं। तुम वहां अपने पति को भी ले आना। हम दोनों एक साथ होंगे, एक ही जगह पर होंगे, तो तुम वहां हम दोनों को देखकर कंपेयर कर सकती हो और फिर अपना फैसला ले सकती हो। यकीन मानो, हम दोनों के आमने सामने आने के बाद तुम्हें यह पता चल जाएगा हम में से कौन ज्यादा बेस्ट है, कौन ज्यादा बेस्ट है और कौन ज्यादा तुम्हारे लायक है”
    
    “मगर वो किसी भी तरह की पार्टी अटेंड नहीं करते। वह पार्टी में आने के लिए मानेंगे ही नहीं।”
    
    “अब वह तुम्हारा काम है। आई मीन वो तुम्हारा पति है, और एक पत्नी चाहे तो अपने पति से क्या नहीं करवा सकती। ऊसे पार्टी में लाओ, हम दोनों को एक साथ देखो, हमारा प्रोफेशन देखो, इसके बाद फैसला लो कौन किससे ज्यादा बेस्ट है, और कौन नहीं।” 
    
    आशीष बोला और दोबारा खाना खाने लगा। वही मानवी पुरानी सभी बातों को भूल कर इस बारे में सोचने लगी की क्या ऐसा हो पाएगा। क्या वो ऐसा कर पाएगी।
    
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